स्वप्न की पूर्णता
कोई तो एक स्वप्न होगा, जो खुली पलकों देखा होगा । कोई तो एक महोत्सव होगा, जो स्वप्न की पूर्णता लिए होगा। कल्पना के शिखर पर मदहोश, गुम हैं, ज्वार से उत्तेजक स्वर हैं, फिर भी, इस अंतर्मन में कुछ तो नम है । इस नम्रता के मर्म में, कोई तो एक पुंज होगा। कोई तो एक अर्थ होगा, कोई तो एक रंग होगा, कोई तो एक धर्म होगा, कोई तो एक कर्म होगा, जो स्वप्न की पूर्णता लिए होगा। अब ये रात भी दिवा सी लगने लगी, कोई तो एक किरण होगी, जो सुबह से चली होगी, प्रकाश से परिपूर्ण होगी। उसी एक किरण में, कहीं तो आरम्भ होगा, जो स्वप्न की पूर्णता लिए होगा।