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कुछ राजनीतिक सा हो जाये !!

                                                     मित्रो बस अभी- २ होली गयी है । ऐसे में यदि राजनीतिक होली की  बात न की जाये तो थोड़ा अटपटा सा लगता है जबकि ये हर साल न आके ५ सालों बाद खेली  जाती है । मीडिया, रेडियो, अखबार, दीवारें और ऊँचे-२ होर्डिंग सभी चुनावी रंग में दिख रही हैं । यह रंगहीन गन्धहीन होली यही  कुछ २-३ महीने की होती है, जिसमे शब्दों के रंग भरकर अलंकारों से भरी भाषाओं युक्त वांग्य वाण सापेक्ष या परोक्ष रूप से चलाये जाते हैं । लोक लुभावने वादे किये जाते हैं, यदि आपने पहले किये थे और सत्ताधारी हैं तो पूरा होने का दावा करते हैं; वहीं यदि आप विपक्ष में थे तो सब ख़ारिज  कर देते हैं जैसे सत्ताधारी सिर्फ और सिर्फ आराम कर रहे थे । इन सब से दूर यदि धरातल पर परीक्षण किया जाये तो कहीं तो इन वायदों की जानकारी ही नहीं है, तो कहीं थोड़ी बहुत कामयाब होती दिखती हैं । परन्तु ध्यान देने वाली बात ये है की जहाँ इनकी सर्व...