मेरा मन्दिर

 मेरा मन्दिर 


चर्चा है, या कहूँ हल्ला है, ये तो विश्वास की बात है |

कैसे कह दिया, क्यूँ बहस, कैसी बहस, हमें तो चाहिए बस एक स्थान | 

मेरे अधिकार की बात है, ये कैसे तुम्हारे समझने की बात है | 

सनातन से था मेरा, फिर तुम्हारा, अब बस करो, दे भी दो अब जो था, है और होगा मेरा | 


विवेकशून्य हूँ मैं, नहीं समझता तेरी व्यापकता | 

जब मैं स्व बंधन में हूँ, कैसे छोड़ दूँ तुम्हें स्वतंत्र | 

मन तो कैद नहीं कर पाया, तुम्हें अवश्य रखूँगा एक ही स्थान | 

प्रतिदिन नहलाऊंगा, लेप लगाऊंगा, शंख बजाऊंगा |


बस इतनी सी बात है,  ये तो विश्वास की बात है |



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