एकदिवसीय स्वतंत्रता !!
एकदिवसीय स्वतंत्रता दैनिक कार्य समाप्ति उपरान्त, अपनी पुत्री के साथ नीचे पार्क में स्वतंत्रता दिवस का पोस्टर देखा और मन अचानक स्कूल के दिनों की याद में खो गया | स्कूल के दिनों में मेरे संगीत सर एक आख़िरी बार अगले दिन के संगीत समारोह का पूर्वाभ्यास करवाते थे | मैं तबला वादक के रूप में भाग लेता था | क्या दिन थे, अपनी समझ के अनुसार केवल कार्यक्रम, मित्र, भाषण और भोजन में क्या होगा की चिंता | कुछ मित्र भाषण प्रतियोगिता में भाग लेते थे, कभी कभी प्रशासनिक अधिकारी, नेता भी आते थे और भाषण करते थे | लगता था हम कितने आज़ाद हैं और हमारी इस आज़ादी के लिए पूर्व में कितना अथक प्रयास हुआ है | अंदर से जोश भर जाता था जब देशप्रेम के गाने बजते थे, भाषण के दौरान नारे लगाते थे, रोगंटे खड़े हो जाते थे | मैं अकेला नहीं हूँ जिसने बचपन में यह सब महसूस किया है, हमने सबने अंतर्मन में देश प्रेम और सेवा का बोध पनपाया है कभी न कभी | क्या आज भी वही महसूस होता है जब थोथे भाषण होते हैं, झूठे वादे, नए नए प्रपंच दिए जाते हैं | मैं बुन्देलखण्ड से आता हूँ, अब तो १५ वर्षों से राजधानी क्षेत्र में रहता हूँ...