स्वतंत्रता दिवस पर सभी को हार्दिक शुभकामनायें !!

स्वतंत्रता दिवस पर सभी को हार्दिक  शुभकामनायें !!

दोस्तों मुझे किसी विद्वान की बात याद आ रही है कि यदि " आपको आज़ाद रहना है तो आज़ादी का मतलब मत भूलो "
हमें यह आज़ादी बहुत प्रयासों के उपरांत प्राप्त हुयी है । हमें इसे बचा के रखना होगा अन्यथा अब हमारे पास नेता जी सुभाष चन्द्र बोस, चन्द्र शेखर आज़ाद , वल्लभ भाई पटेल, महात्मा गाँधी और भगत सिंह जैसे नेता तो नहीं हैं, कि फिर से मर के या अनसन करके हमें आजाद करा लेंगे।  माफ़ कीजियेगा परन्तु आज अर्थात 15 अगस्त  जितनी चाक चौबंद व्यवस्था  तो आप शायद ही साल में कभी देख पायें। यदि आपने नहीं देखी  तो देख लीजिये इससे सुनहरा मौका फिर नहीं मिलेगा मेरे कथन का सीधा सा तात्पर्य यह है  कि  आज आप सुरक्षित हैं। बेफ़िक्र  रहिये कही कोई धमाका नहीं हो सकता । जानते हैं क्यों ?? क्यों कि  आज  हम आज़ाद हुए थे  :) क्या ऐसा साल के 365 दिन संभव नहीं है ? आज के दिन गाड़ी से सभी कागज रख के,  हेलमेट लगा के निकलते हैं कि चौराहों पर हमारे पुलिस के जवान खड़े होंगे कहीं चालान ना भरना पड़ जाये । क्या ऐसा साल के 365 दिन संभव नहीं है ?
          हमारे महात्मा जी ने कहा था कि "मैं ऐसे भारत की कल्पना करता हूँ जहाँ गरीब से गरीब व्यक्ति भी महसूस करे कि यह उसका देश है और राष्ट्र निर्माण में उसका भी योगदान  है " । मेरा भी यही मानना है और मुझे लगता है कि आज राष्ट्र के नागरिक को अपने वोट के  महत्व का संज्ञान है और वे जानते हैं कि भारत एक लोकतान्त्रिक गणराज्य है । हम जिसे भी चुनते हैं वही हमारे उज्ज्वल भविष्य के प्रणेता हैं और हम आशा करते हैं कि हमारे नेता भी यह याद रखते हैं कि वे जन नेता हैं और वे ऐसी योजनायें बनायेंगे व लागू करेंगे जिससे विश्व में हमारी आर्थिक, राजनैतिक और सामाजिक स्थिति मजबूत होगी ।
          कुछ हद तक हमने यह  लक्ष्य प्राप्त भी किया है, परन्तु कहीं न कहीं अभी भी कुछ कमियां हैं जो गरीबों को और गरीब और अमीरों को और अमीर बना रही हैं । हम जानते हैं की साम्यवाद की बात करना तो अप्रासंगिक है, पर क्या निकट भविष्य में हम यह अमीरी गरीबी का अंतर कम नहीं कर सकते ? अभी भी देर नहीं हुयी है "जब जागो तभी सवेरा होता है "।  हम सभी को अपने-अपने स्तर पर ईमानदार होने की आवश्यकता है चाहे जन हों या नेता । अमीर यह न भूलें कि जब गरीबों के पास खाने को कुछ नहीं होगा तो वे अमीरों को खायेंगे । हमे गरीबी के पैमाने को फिर से जानना और समझना होगा ताकि गरीबों के स्तर में सुधार हो सके ।
          हमारा इतिहास गवाह है कि जब भी शोषण अपनी चरम स्थिति पर पहुँचा है आंदोलनों का दौर चला है । हम ऐसी स्थिति आने ही क्यों दें कि हमें इन आंदोलनों में भाग लेना पड़े या इनका सामना करना पड़े । हमे अपने भारतीय होने पर गर्व होना चाहिए और अपने - अपने स्तर पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भारत के गौरवमयी विकास में योगदान देना चाहिए ।
           हमें सर्वप्रथम भारत से साम्प्रदायिकता शब्द को भागना  होगा । इसके अतिरिक्त एक बहुप्रचलित बीमारी भ्रष्टाचार को निकलना है । ये अत्यंत कठिन है परन्तु प्रयास तो किया ही जा सकता है । फिर चाणक्य का यह कथन कि "वित्त विभाग से जुड़ा व्यक्ति किसी न किसी रूप से वित्त का शोषण कर ही लेता है और उसकी संलिप्तता पता लगाना उतना ही मुश्किल है जितना कि जल की मछली के जल पीने का" इसे तो चुनौती देना कठिन है किन्तु हम ऐसी प्रशासनिक व्यवस्था बना सकते हैं कि कुछ हद तक इसे रोक सकें ।
         हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों का दोहन सीमित करना होगा । जितना भी दोहन करते हैं उसकी  किसी न किसी रूप में भरपाई भी करनी होगी । आज हम अपनी माँ सामान जीवनदायिनी गंगा को गन्दा कर रहे हैं इसके बारे में विचार करना होगा । गंगा जी के साथ-साथ अपने मन की गंगा को भी पवित्र करने की आवश्यकता है ।



जय हिन्द ।
 

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