प्रीत लगाकर क्या पाओगे
प्रीत लगाकर क्या पाओगे नयन नचेंगे तेरे अंगना, कंगना पहनाकर दीवाना कहलाओगे | मस्ती डूबेगी अश्रु कणों में, चंचलता छुप जाएगी । बस चार दिनों में बचपन की सीढ़ी भी गिर जाएगी | नयी नवेली सुबह को पाकर युवा पुरुष हो जाओगे । प्रीत लगाकर ------------------------------------ तन मन में ताना तानी होगी, दर्पण में अपने ही प्रतिबिम्बों से छुट्टी होगी । बिना धृत का दीप जलाकर, उसी दीप को अपने हांथों शांत करोगे । प्रीत लगा कर------------------------------------ प्रीत लगाकर क्या पाओगे नयन नचेंगे तेरे अंगना, कंगना पहनाकर दीवाना कहलाओगे |